मेरे देश के स्वाभिमान को दुराचारों ने घेरा है
जिस ओर मेरी नजर पड़े अज्ञानता का अंधेरा है
भ्रष्टाचार की राजनिति ने दिया जख्म गहरा है
भूख, बेरोजगारी, लाचारी का पग-पग पडा डेरा है
बम धमाकों व आतंकवाद से पूरा भारत सिहरा है
इस विकासशील भारत का सर्वागींण विकास ठहरा है
लालच और अन्याय का चारो और बसेरा है
खून के अश्रु रो रहा प्यारा भारत देश मेरा है
मैं देश का सजग प्रहरी बनूं ये अथक प्रयास मेरा है
बहेतरीन रचना .....
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